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श्री राजेश्वर भगवान की 76 वी पुण्यतिथि

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 मानवता के पथ प्रदर्शक, लोक मंगल के प्रणेता, महान दार्शनिक, राजऋषि योrगीराज बाल ब्रह्मचारी सिद्ध चमत्कारी संत, परम पूजनीय गुरूदेव श्री श्री 1008 श्री राजेश्वर भगवान की 76वीं पुण्यतिथि पर "गुरुदेव" के श्री चरणों में कोटि-कोटि सादर नमन।!! जय श्री राजेश्वर भगवान की जय हो 🙏🙏

आँजणा समाज के आराध्य गुरुदेव, मानवता के पथ प्रदर्शक लोक मंगल के प्रणेता, जाति-समाज के सुधारक राजॠषि योगीराज बाल ब्रहमचारी सिद्ध चमत्कारी संत परम पूजनीय प्राता:भगवान स्वरूपी अवतारी #श्री_श्री_1008_राजेश्वर_भगवान_की_76_वी_पुण्यतिथि_पर गुरुदेव के पवित्र चरणों में कोटि कोटि वंदन।

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आँजणा समाज के आराध्य गुरुदेव, मानवता के पथ प्रदर्शक लोक मंगल के प्रणेता, जाति-समाज के सुधारक राजॠषि योगीराज बाल ब्रहमचारी सिद्ध चमत्कारी संत परम पूजनीय प्राता:भगवान स्वरूपी अवतारी #श्री_श्री_1008_राजेश्वर_भगवान_की_76_वी_पुण्यतिथि_पर गुरुदेव के पवित्र चरणों में कोटि कोटि वंदन।

श्री राजेश्वर भगवान का जीवन परिचय

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श्री राजारामजी महाराज का जन्म चैत्र शुल्क ९ संवत १९३९ को, जोधपुर तहसील के गाँव शिकारपुरा में, अंजना कलबी वंश की सिह खांप में एक गरीब किसान के घर हुआ था | जिस समय राजारामजी की आयु लगभग १० वर्ष थी तक राजारामजी के पिता श्री हरिरामजी का देहांत हो गया और कुछ समय बाद माता श्रीमती मोतीबाई का स्वर्गवास हो गया | माता-पिता के बाद राजारामजी बड़े भाई श्री रगुनाथ रामजी नंगे सन्यासियों की जमात में चले गए और आप कुछ समय तक राजारामजी अपने चाचा श्री थानारामजी व कुछ समय तक अपने मामा श्री मादारामजी भूरिया, गाँव धान्धिया के पास रहने लगे |बाद में शिकारपुरा के रबारियो सांडिया, रोटी कपडे के बदले एक साल तक चराई और गाँव की गांये भी बिना हाथ में लाठी लिए नंगे पाँव २ साल तक राम रटते चराई | गाँव की गवाली छोड़ने के बाद राजारामजी ने गाँव के ठाकुर के घर १२ रोटियां प्रतिदिन व कपड़ो के बदले हाली का काम संभाल लिया| इस समय राजारामजी के होंठ केवल ईश्वर के नाम रटने में ही हिला करते थे | श्री राजारामजी अपने भोजन का आधा भाग नियमित रूप से कुत्तों को डालते थे | जिसकी शिकायत ठाकुर से होने पर १२ रोटियो