महन्त श्री श्री दयारामजी महाराज का जीवन-परिचय

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महंत श्री दयाराम जी महाराज के बचपन का नाम डायाराम था| पाली जिले की तहसील रोहट के गॉंव रेवडा खुर्द में पिता श्री अणदाराम जी भूरिया (सुपुत्र श्री रावताराम जी भूरिया) एवं माता श्रीमती हरकू देवी (सुपुत्री श्री हंसाराम जी काग रेवडा कला) के सुपुत्र श्री डायाराम का जन्म ज्येष्ठ शुल्का द्वितीय विक्रम संवत २०२५ को आपके ननिहाल रेवडा कला में हुआ| आपके दो भाई श्री मेहराराम एवं श्री मोटाराम एवं तीन बहिने गजरीदेवी, गवरीदेवी एवं पानीदेवी हैं |
शिकारपुरा आगमन एवं शिक्षा दीक्षा
श्री दयाराम जी महाराज दिनांक १ जुलाई १९७९ को आश्रम आ गए| उस समय महंत श्री देवाराम जी महाराज भक्ति में लीन थे एवं श्री किशनाराम जी महाराज समाज सेवा में व्यस्थ थे| श्री दयाराम जी के पिताजी श्री अणदाराम जी भूरिया द्वारा महंत श्री देवाराम को दिए गए वचन को पूरा करने के उद्धेस्य से ही श्री दयाराम जी को साधुत्व स्वीकार करना पड़ा| वर्तमान में आपको गुरुगादी कि चोथी पीढ़ी के रूप में श्री दयारामजी महाराज को महंत श्री की उपाधि से विभूषित किया गया |
नव गादीपति श्री १००८ श्री दयारामजी महाराज युवा महंत है , लग्नशील है अत: आपके सानिध्य में समाज चहुमुखी विकास के पथ पर आगे बढेगा एवं गुरूजी के दिए उपदेशो का प्रचार - प्रचार होगा |

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